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१४९ ॥ श्री चन्द्र देव जी ॥


दोहा:-

नाम ईश का रेफ़ है, भजहिं जाहि सब देव ।

या से जग में आइ कै हरि सुमिरन करि लेव ॥१॥

जब छूटै यह देह तब, हरि ढिग बैठक लेव ।

मानुष का तन पाइके, सत्य वचन सुनि लेव ॥२॥

यह धन गुरु के पास है, दीन जानकी नाथ ।

जानि लेहु तुम दीन ह्वै, तब ह्वै जाउ सनाथ ॥३॥