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८ ॥ श्री व्यास जी ॥


दोहा:-

राम कृष्ण ह्वै जात हैं, कृष्ण राम ह्वै जांय ।

छवि देखत ही बनत है, मुख से कही न जाय ॥१॥

नाना चरित दिखाय के, संशय दीन मिटाय ।

जिनकी महिमा कहन में, शेष गये सकुचाय ॥२॥