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६७ ॥ श्री महात्मा नित्यानन्द जी ॥

जारी........

हर दम दर्शन होत हैं अमित रूप सियराम ॥३३॥

योगानन्द यह कहत हैं साँची लीजिय मान ।

रामानन्द क शिष्य हूँ जानत जिन्हैं जहान ॥३४॥