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६७५ ॥ श्री सहिंदा जान जी रंडी ॥

(मुकाम बरेली)

(श्री स्वामी रामानन्द जी की चेली)

 

पद:-

लखि छबि बिहँसि परी श्याम मेरी ठाढ़ो बगल में।

भूषन बसन मनोहर साजे मुरली अधर धरी

श्याम मेरी ठाढ़ो बगल में।

सतगुरु करि सुमिरन विधि जानै तिरगुन टूटै लरी

श्याम मेरी ठाढ़ो बगल में।

ध्यान प्रकाश समाधि नाम धुनि, हर दम उठत हरी

श्याम मेरी ठाढ़ो बगल में।

सुर मुनि मिलैं सुनै घट अनहद अमृत झरत झरी

श्याम मेरी ठाढ़ो बगल में।

अंत त्यागि तन निज पुर राजौ जग से होहु बरी

श्याम मेरी ठाढ़ो बगल में।६।