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५७५ ॥ श्री नौरोजी जी डाकू ॥

    (शिष्य श्री गौराङ्ग महाप्रभू)

पद:-

सतगुरु करो हरि नाम लो हर दम लखौ प्रिय श्याम जी।

धुनि ध्यान लय परकाश हो सुर मुनि मिलैं बसुयाम जी।

अनहद सुनो अमृत पियो करि जाप भव की थाम थाम जी।

नौरोजी कहें तन त्यागि फिरि बैठिये निज धाम जी।४।