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५२५ ॥ श्री सीताराम जी ॥

 (श्री काशी निवासी शिष्य श्री स्वामी रामानन्द जी)

पद:-

साँचा रसिक तवन कहवावै।

जो कोई सतगुरु करि सुमिरन विधि जान के तन मन लावै।

ध्यान प्रकाश समाधि नाम धुनि हर शै से सुनि पावै।

अनहद बजै अमी रस पीवै सुर मुनि संग बतलावै।

सीता राम की झांकी अद्भुद निज सन्मुख में छावै।

सीता राम शरन कह तन तजि अचल धाम चलि जावै।६।