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४६८ ॥ अनन्त श्री स्वामी सतगुरु नागा ॥ (३)

(श्री राम दास जी महाराज के बचनामृत उपदेश)

 

कच्ची जवाँ न बोलो नर तन मिला अमोलो।

मन नाम धुनि में धोलो निज नैन कान खोलो॥

फूटै भरम फफोलो जियतै में सुख में सोलो।

भूलन कहैं जगौलो संसार में न डोलो॥