साईट में खोजें

२३९ ॥ श्री भगत राम जी ॥

(अपढ़, बैंगलौर)

 

दोहा:-

सियाराम प्रिय श्याम रमा हरि भजिये तन मन लाय।

भगत राम कहैं प्रगट ह्वै उर में लेहिं लगाय॥

शूल पाणि औ गदा धर रहैं तुम्हारे संग।

भगत राम कहैं जियति ही जीति जाव जग जंग॥