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२२२ ॥ श्री मुरही माई जी ॥

पद:-

बिषयानन्द अनन्द पुरुष से अष्ट गुण है नारी को।

सतुगुरु करै नाम धुनि जानै तब परमानन्द प्यारी को।

ध्यान प्रकाश समाधी होवै सुधि बुधि वहाँ न यारी को।

सुर मुनि मिलैं सुनै घट अनहद लखै सिया धनु धारी को।

जय जय कार दोउ दिशि होवै वाके पितु महतारी को।

मुरही कहै अन्त निज पुर हो फिर जग उसे उलारी को।६।