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१९८ ॥ श्री दरिया साहब जी ॥

(मारवाड़)

 

पद:-

दरिया कह रंकार धुनि हर शै से सुनि लेहु।

सतगुरु से बिधि जानिके सूरति शब्द पै देहु।

सरनि तरनि औ मरनि सब जियतै ही लो जान।

दरिया कह मानो बचन खुलि जाँय आँखी कान।४।