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१७५ ॥ श्री राग रागिनी पुत्र सहित ॥

(एकै बाणी)

चौपाई:-

श्यामै ग्राम श्याम स्वर जानो। श्यामै ताल श्याम गति मानो।१।

श्यामै लय श्यामै सम कहिये। श्यामै साज गवैया कहिये।२।

श्यामै धुनि औ तान बने हैं। श्यामै राग श्रृङ्गार बने हैं।३।