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॥ श्री हनुमान जी की प्रार्थना ॥(५)

हे कपिराज देहु बरदाना।१।

नाम नाम में अटल प्रेम हो जियतै भव तरि जाना।२।

सुर मुनि वेद शास्त्र युग चारों नित या को जप ठाना।३।

अंधे शाह अपढ़ की बिनती सुनिये प्रभु धरि ध्याना।४।