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॥ श्री शंकर जी की प्रार्थना ॥(२)

जय शंकर संकट के हारी।

बायें ओर उमा जी बैठीं सब की हैं हितकारी।

सब सुर आप को महोदेव कहैं इन्हैं कहैं महतारी।

आप के यश को वरण सकत है राम नाम अधिकारी।

कुसमायुध के प्रभु शरीर को क्षण में दीन्ह्यो जारी।

अंधे कहैं आप की स्वामी सब दिशि जयजय कारी।६।