साईट में खोजें

॥ श्री रामायण व गीता जी की प्रार्थना ॥

जारी........

हर समय तब देखा करो टरती नहीं मानो जड़ी।

तन छोड़ि निज पुर को चलै भव जाल में काहे पड़ी।८।

 

दोहा:-

राम नाम के तार पर चढ़ि कै लखौ बहार।

सबै पदारथ हैं भरे अंधे कहैं पुकार।

फूट कूट औ तर्क में जाको मन रमि जाय।

कोटिन कल्प क नर्क हो अंधे कहैं सुनाय।

 

पद:-

अन्धे कहैं सुनाय बिकट यह तीनों नारी।१।

नर्क देंय पठवाय दीन मन की मति मारी।२।

जम गन करि करि घात हनैं तन छुरी कटारी।३।

कर्म किह्यो तस खाव पाप के फल हैं भारी।४।

 

पद:-

गदा गद्द औ भदा भद्द जम मुक्कन मारैं।

पकरि के दोनों हाथ पटकि धरती पर डारैं।

लातन ते तब कांड़ि थूकि मुख दांत उखारैं।

सुधि बुधि जाय हिराय कांध धीर फेरि निहारैं।

चित्र गुप्त के पास जाय कर तुमको पारैं।

होश में हो तब वहां रजिस्टर तुरत निकारैं

सुनते जावो सूख बांधि चट नर्क सिधारैं।

फेंकि हौज में देंय कहैं अंधे को टारैं।८।

 

पद:-

चटा चट्ट औ पटा पट्ट जम देहिं तमाचा।१।

अंधे कहैं पुकारि करै जब अन्त में जांचा।२।

या से हरि को भजो ढूँढ़ि सतगुरु कोई सांचा।३।

जियतै तरि मरि जाव लगै भव की नहिं आंचा।४।

 

दोहा:-

सतगुरु से लै मंत्र को कियो नहीं अभ्यास।

अंधे कह जन्मै मरौ भयो न सच्चे दास॥

 

पद:-

ब्रह्मा विद्या सीख लो सतगुरु दया की मूर्ती।१।

अंधे कहैं बनि दीन जावै देयंगे करि पूर्ती।२।

धुनि नाम लै परकास में रमि जायगी जब सूर्ती।३।

राम सीता सामने तब फिर न माया घूरती।४।

 

पद:-

बोल बाला उसका आला जिसके दिल में है दया।१।

अंधे कहैं तन छोड़ि कै हरि धाम को वह तो गया।२।

सरकार के दरबार में सन्मान होता नित नया।३।

हौ भक्त बनते मन है अंते नेक नहिं आती हया।४।

 

पद:-

सतगुरु से सुमिरन जानि कै खेलो बसंत आनन्द हो।१।

धुनि नाम लै परकास सन्मुख रूप परमानन्द हो।२।

सुर मुनि लिपटि जै जै करैं पितु मातु के फ़रजंद हो।३।

अंधे कहैं तन छोड़ि निज पुर लो मिटा दुख द्वंद हो।४।

 

पद:-

सतगुरु करौ तन में लखौ हर समै होली हो रही।

धुनि ध्यान लै परकास औ षट रूप बोली हो रही।

दीनता औ शान्ति का कुम कुम अबीर बना वहाँ।

नाम रंग से प्रेम की चोंगी अमोली हो रही।

भक्त सुर मुनि खेलते हरि जस किलोली हो रही।५।

 

अष्ट सिद्धी नवो निद्धी लखि बचोली हो रही।

बाजा बजै अनहद वहाँ अमृत ढकोली हो रही।

अंधे कहैं अब जागिये यहँ पर बकौली हो रही।

आखिर में फिर पछितावगे जर जर ये चोली हो रही।९।

 

पद:- त्योहार में ब्योहार सच्चा तब तो होता फ़ायदा।

जारी........