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॥ श्री चालीदास जी का कीर्तन ॥

 

पद:-

तन समय स्वाँस अनमोल मिला सिया राम भजो सिया राम भजो।

चाली कहैं गुरु से नाम मिला सिया राम भजो सिया राम भजो।

सबसे आसान यह मार्ग मिला सिया राम भजो सिया राम भजो।

तन छोड़ि सो राम का धाम मिला सिया राम भजो सिया राम भजो।४।

 

पद:-

बचन जो गुरु का है माना वही सिया राम का प्यारा।

कहैं चाली सुनौ भक्तौं जियति ही तर गया तारा।

देव मुनि सब उसे चहते द्वैत का मूँह किया कारा।

दया उसके भरी उर में लोभ को करि दिया छारा।४।

 

शेर:-

जानै वही मानै वही सुख जिसके आँखी कान है।

चाली कहैं सुमिरन बिना हटता नहीं अज्ञान है॥

 

पद:-

महाबीर बजरंग पवन सुत राम दूत हनुमान।

अंजनी पुत्र केशरी नन्दन विद्या बुद्धि निधान।

राम सिया सन्मुख में राजत सुनत नाम की तान।

चाली पर अस दाया कीनी मुक्ति भक्ति दियो दान।४॥

 

पद:-

सिया राम की सेवा के हित शंकर रूप धरयो हनुमान।

एक रूप ते जग को देखत मुक्ति भक्ति दें दान।

बीज मंत्र की धुनी सुनत औ अजर अमर गुन खान।

राम सिया सन्मुख में राजत जिनका रचा जहान।

ऐसा दानी देव न दूसर सुर मुनि कीन बखान।

चाली कहैं मिलै जेहि यह पद आवागमन नसान।६।

 

दोहा:-

गुरु से जाको भाव नहिं ताको जानो दुष्ट।

चाली कह शुभ काम में कैसे होवै पुष्ट॥

अहंकार और कपट संग माया चोरन गुष्ट।

चाली कह जियतै नरक मति वा की है कुष्ट॥

संगति जब अच्छी नहीं बुद्धि गई ह्वै भ्रष्ट।

चाली कह वे हर समय बने रहत हैं नष्ट॥

 

बुरे काम हित खरचते दया धरम में रुष्ट।

चाली कह नैनन लखा ऐसे मन के चुष्ट॥

मातु पिता को नर्क भा मिली ऐसि औलादि।

चाली कह धिक्कार है दोनों कुल बरबादि॥

इनकी संगति जो करै सीधै नर्कै जाय।

चाली कह तलफ़ै गिरै बार बार गश खाय॥

 

दोहा:-

राम कृष्ण औ बिष्णु के सहस नाम परमान।

चाली कह जपि जानि लो सब से हो कल्यान॥

भेद खेद को छोड़िये या से होगा नर्क।

चाली कह सुर मुनि बचन या मे नेक न फर्क॥

 

शेर:-

दीनता औ शान्ति बिन भगवान से तुम दूर हो।

चाली कहैं थू थू तुम्हैं दोनों तरफ़ से कूर हो॥

 

दोहा:-

दुष्ट की संगति जो करै सो दुष्टै ह्वै जाय।

चाली कह सुर मुनि बचन चौरासी चकराय॥

परस्वारथ परमार्थ बिन भव से होत न पार।

वेद शास्त्र सुर मुनि बचन चाली कहत संभार॥

 

पद:-

राम श्याम नारायण भजिए सीता राधा कमला।

चाली कहैं शान्त मन होवै चोर करैं नहिं हमला।

राम कृष्ण औ बिष्णु को भजिये रमा राधिका सीता।

चाली कहैं चेतिये भक्तौं जीवन जात है बीता।४।

जारी........