साईट में खोजें

॥ श्री कृष्ण जी की प्रार्थना ॥ (२)

मोको गारी देवै बनवारी माई रोज़ जी।

सखा संग लै बाट में धावै,मिटुकी सर से चट उतरावै, कहै हमारे भोजरी।

दही को महि के ऊपर नावै चाटै जीभ से हंसि मटिकावै, बोलै कैसी मौज री।

कहै दान दधि का नहिं दैहौ, तो तुम बृज में रहन न पैहो, नित्य करैं

हम खोज री।

सखा सखी के संग दुलरावै, नाना बिधि के खेल दिखावै,

पाप ताप दै गौंजरी।

मन को जो कोई लेवै मारी, हर दम निरखै आनन्द भारी है

यह सारो बोज री।६।