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॥ वैकुण्ठ धाम के अमृत फल ३७ ॥ (विस्तृत)

४८२. देव अनुष्ठान (विशेष पूजा) करने के नियम: 

- बाल न बनवाये। 
- कपड़ा धोबी से न धुलावे। 
- ज़मीन या तखत पर सोवे। पलंग पर न सोय। 
- ब्रह्मचर्य रहे। 
- स्थान अपना लीपा पोता हो। दूसरा न जावे। जप पाठ 
एकान्त में करै। 
- नीच से न बोले, (जिसके कर्म ठीक नहीं वही नीच है)। 
- अपने हाथ का भोजन बनावे, जल लावे, बर्तन मलै। 
- जीवधारी सवारी पर न चले। 
- नशा न खाय, झूठ न बोले, मन रोके (काबू करे)। 
- किसी के यहाँ मोढ़ा (स्टूल) कुर्सी पर न बैठे। 
- सतोगुणी देवता का प्रसाद बंटता हो ले लेवे। 
- पाँचों चोरों से बचे। 
- लघु शंका (पेशाब) लगे जल लेकर जाय, हाथ पैर धो 
कुल्ला करै। 
- दिन में न सोवे। 
- १० बजे सोवे ३ बजे उठे। 
- जूता खड़ाऊं न पहने, जीव मरते हैं। 
- एक बार शुद्ध सतोगुणी भोजन करे। 
- एकान्त में रहे। 
- जप पाठ करते समय किसी से न बोले। 
- गुरू चरणों पर विश्वास राखै तब फलीभूत हो।