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१ ॥ श्री अंधे शाह जी ॥ (१२८)


पद:-

अन्धे कहैं नाम कर बाल। पकड़ो होय न बाँको बाल।

ना मानो तो बुरे हवाल। धरि कराह में देंय उबाल।

नाना बिधि के कष्ट कराल। देवैं उन्हैं बना सब ख्याल।

या से सतगुरु करि लो हाल। सुमिरौ मिटै सबै जंजाल।४।