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२४५ ॥ श्री फुलिया माई सोनारिन जी ॥


पद:-

छोड़ो चोरी भजन में लागौ।

सतगुरु करि सुमिरन विधि जानौ तन मन प्रेम में पागौ।

ध्यान प्रकाश समाधि नाम धुनि जानि जियत जग जागौ।

सीता राम राधिका मोहन की छवि सन्मुख तागौ।

हर यश सुनौ देव मुनि बरनैं उनसे कछु मति मांगौ।५।

अनहद बाजा हरदम बाजै नाचै रागिनि रागौ।

गान सुनावैं भाव बतावैं नित प्रति परै न नागौ।

फूल कली कहैं अन्त त्यागि तन अचल धाम को भागौ।८।