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२४४ ॥ श्री छेदुई माई कुर्मिन जी ॥


पद:-

मन महरा अब डोलिया को कसुरे,

सैंया मिलन हित चलिहौं मैं ससुरे।१।

नैहर में अब गुजर नहीं है,

चढ़ली जवानी मैका घेरे पांच पशुरे।२।

जखमी होय पास किमि पहुँचै,

लागि जाय कुल में अपयशु रे।३।

सतगुरु ने सब भेद बतायो,

चलु सब तजि निज घर में बसुरे।४।