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१९९ ॥ श्री बनखण्डी बाबा जी ॥ (२)

सुनिये सोऽहं की आवाज।

सतगुरु करि सुमिरन बिधि जानो तन मन जावै भाँज

ध्यान प्रकाश समाधी होवै बाजै अनहद साज।

सिया राम प्रिय श्याम रमा हरि तब सन्मुख जांय राज।

सुर मुनि मिलैं पिओ घट अमृत पूरन हो सब काज।

अन्त त्यागि तन निज पुर बैठो भक्त होहु सिरताज॥

सुनिये राम कृष्ण हरि नाम।

सतगुरु करि सुमिरन बिधि जानो करो सुफ़ल निज चाम॥

रेफ़ बिन्दु जो बीज कहावै है ब्यापक हर ठाम।

ध्यान प्रकाश समाधी होवै सुनो साज घट आम॥

सुर मुनि मिलैं पिओ घट अमृत ना कछु लागै दाम।

सिया राम प्रिय श्याम रमा हरि सन्मुख हों बसु याम।