साईट में खोजें

८८२ ॥ श्री पच्चा शाह जी ॥


पद:-

भजो सिय राम को हर दम बिनै सब से करैं पच्चा।

नहीं तो अन्त में जमदूत कसि लै जांयगे बच्चा।

करो सतगुरु मिलै फुरसत बहुत तो खा चुके गच्चा।

प्रेम तन मन से जिसका हो वही होगा गदा सच्चा।

फेल होगा वही जानो जो होगा भजन में कच्चा।

वही पापी वही कपटी वही उल्लू वही लुच्चा।६।