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७५८ ॥ श्री गिरिवर दास जी ॥

जारी........


पद:-

सिय राम राधेश्याम लक्ष्मी नारायण जी की जय हो।

जिनकी कृपा कटाक्ष से हम भव तरि जावैं नहिं कछु भय हो।

शारद बिधि औ उमा शम्भु जी सरस्वति गणपति की जय हो।

जिनकी कृपा कटाक्ष से हम भव तरि जावैं नहिं कछु भय हो।

अरुन्धती वशिष्ठ अनुसुइया अत्रि मुनी जी की जय हो।

जिनकी कृपा कटाक्ष से हम भव तरि जावैं नहिं कछु भय हो।६।

अदिती कश्यप सतरूपा मनु कौशिल्या दशरथ जी की जय हो।

जिनकी कृपा कटाक्ष से हम भव तरि जावैं नहिं कछु भय हो।

श्री सुनयना जनक अहिल्या श्री गौतम जी की जय हो।

जिनकी कृपा कटाक्ष से हम भव तरि जावैं नहिं कछु भय हो।१०।

माण्डवी भरत उर्मिला लखन श्रुतिकीर्त शत्रुहन की जय हो।

जिनकी कृपा कटाक्ष से हम भव तरि जावैं नहिं कछु भय हो।

श्री रेवती श्री बलराम श्री सुभद्रा अर्जुन की जय हो।

जिनकी कृपा कटाक्ष से हम भव तरि जावैं नहिं कछु भय हो।

श्री देवकी श्री बसुदेव श्री यशोदा नन्द जी की जय हो।१५।

जिनकी कृपा कटाक्ष से हम भव तरि जावैं नहिं कछु भय हो।

कुन्ती पाण्डु शची औ सुरपति दमयन्ती नल की जय हो।

जिनकी कृपा कटाक्ष से हम भव तरि जावैं नहिं कछु भय हो।

देवहुती कर्दम जी सुनीति उत्तानपाद जी की जय हो।

जिनकी कृपा कटाक्ष से हम भव तरि जावैं नहिं कछु भय हो।२०।

तारा बलि मन्दोदरी रावन पृथ्वी पृथु जी की जय हो।

जिनकी कृपा कटाक्ष से हम भव तरि जावैं नहिं कछु भय हो।

मुर्बी श्रुतिनिधान श्री शची श्री जगन्नाथ जी की जय हो।

जिनकी कृपा कटाक्ष से हम भव तरि जावैं नहिं कछु भय हो।

हुलसी जी आत्मा राम वंका औ रंका की जय हो।२५।

जिनकी कृपा कटाक्ष से हम भव तरि जावैं नहिं कछु भय हो।

पद्मावती श्री जयदेवजी सीता पीपा की जय हो।

जिनकी कृपा कटाक्ष से हम भव तरि जावैं नहिं कछु भय हो।

बिष्णु प्रिया गौराङ्ग ईछरा सालवान जी की जय हो।

जिनकी कृपा कटाक्ष से हम भव तरि जावैं नहिं कछु भय हो।३०।

देवै दस्य राज औ सोनवा श्री आल्हा जी की जै हो।

जिनकी कृपा कटाक्ष से हम भव तरि जावैं नहिं कछु भय हो।

ब्रह्मा बच्छ राज गज मोतिन श्री मलखे जी की जै हो।

जिनकी कृपा कटाक्ष से हम भव तरि जावैं नहिं कछु भय हो।

फुलवा ऊंदल बेला ब्रह्मा मल्हना श्री परिमाल की जै हो।३५।

जिनकी कृपा कटाक्ष से हम भव तरि जावैं नहिं कछु भय हो।

गन्धारी धृतराष्ट्र औ बिजमा श्री लाखन जी की जै हो।

जिनकी कृपा कटाक्ष से हम भव तरि जावैं नहिं कछु भय हो।

सत्यवती जगदीश संयोगिनि पृथ्वी राज जी की जै हो।

जिनकी कृपा कटाक्ष से हम भव तरि जावैं नहिं कछु भय हो।४०।

सब शक्ती सुर मुनि तीर्थ जीव सब सरिता बन गिरि की जै हो।

जिनकी कृपा कटाक्ष से हम भव तरि जावैं नहिं कछु भय हो।

सब बापी कूप तड़ाग तलैया पोखर सगरन की जै हो।

जिनकी कृपा कटाक्ष से हम भव तरि जावैं नहिं कछु भय हो।४४।


शेर:-

चैन शाह की बिनय सुनो सब कृपा करौ दर्शन दै दो।

जियतै मुक्ति भक्ति मैं पावों तब मम कारज सब तै हो।१।