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६४१ ॥ श्री फ़िदा रसूल जी ॥


पद:-

कहता फ़िदा रसूल है हरि नाम का सुमिरन करो।

तन मन से मुरशिद का भरोसा प्रेम में तब तो भरो।

धुनि ध्यान लय परकाश होवै जियत में तब तो मरौ।

सुर मुनि मिलैं अनहद सुनौ निर्वैर फिर किस से डरौ।

सन्मुख संवलिया लाड़िली हर दम रहैं धीरज धरौ।५।

ह्वै दीन सूरति शब्द पै धरि कै अगर मानो ठरौ।

दुनों जहां में नाम हो अभ्यास करि फूलो फरौ।

तन त्यागि कै हरि पुर चलौ जग में न फिर प्यारे परौ।८।