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४३३ ॥ श्री नाम देव जी ॥


पद:-

सतगुरु करि नाम जप विधि जान लेव

आँखी कान खुलि जांय पावो सुखसार जी।

जियतै में मुक्त भक्त तब तो कहावो भाय

शुभ औ अशुभ कर्म होंय जरि छार जी।

धुनि ध्यान परकाश पाय लय में समाय

सुधि बुद्धि केर जहां रहै न संभार जी।

सुर मुनि मिलैं आय हर्षि उर लेंय लाय

अनहद ताल घट सुनो निशिवार जी।

विप्र धेनु सन्त सब जीवन पै दृष्टि सम

कीरतन करौ बनि दीन शान्ति धार जी।

सन्मुख श्याम छटा हर समय छाय रहै

नाम देव कहैं बनि जावो मतवार जी।६।


दोहा:-

गुरु पाय का झूठ है सुर मुनि वेदन गाय।

नाम देव कह नारि नर या से बचौ सदाय।१।