साईट में खोजें

२९२ ॥ श्री वेनी कलार जी ॥


पद:-

ऋषि मुनि कि बानी है सही तन मन लगा के पढ़ना।

गर बांचता हो कोई तो ध्यान दे के सुनना।

फिर जाय कर अकेले चुप बैठ उसको गुनना।

जो वचन शान्ति देवैं उन्हीं को यार चुनना।

मुरशिद से जान करके दिन रात नाम धुनना।५।

धुनि ध्यान नूर लय हो चोरन क छूटै घुरना।

प्रिय श्याम सामने हों मिटि जाय मन का उड़ना।

सुर मुनि से लेव आशिश कटि जाय गर्भ झुलना।८।