साईट में खोजें

४९७ ॥ श्री भलूट शाह जी ॥


पद:-

सखिन मधि नाचत कृष्ण राधे।

नाना साज राग को बरनै नूपुर पग बांधे।

धाय धाय हरि लपटैं सब को दौरि चढ़त कांधे।

सखा चहूँ दिशि ते तँह राजत कर से कर साधे।

सुर मुनि शक्ती निरखै एक टक मानहुँ सब बांधे।५।

बृजवासी मुरली की धुनि सुनि मूर्छि गिरत आधे।६।

कहैं भलूट प्रिया प्रीतम भजु कटैं सकल बाधे।७।