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६८ ॥ श्री केशवा नन्द जी ॥


दोहा:-

गायत्री जी दरश दें हमको आठौं याम।

माता हर दम जपत हैं बीज राम को नाम।१।

सन्मुख झांकी राम सिय हर दम देखैं मात।

निशि बासर रहतीं मगन सुन्दर कोमल गात।२।

नाम केशवानन्द मम तुम से कहौं सुनाय।

माता की किरपा सदा रहत एक रस भाय।३।