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२४८ ॥ श्री कबीरदास जी - अथ नर्क वर्णन ॥

दोहा:-

वैतरनी के पास ही बना भयानक नर्क ।

कह कबीर मानो सही, या में नेक न फर्क ॥१॥

 

चौपाई:-

नर्क को जाँय पुरुष औ नारी। नग्न वदन काले तन धारी ॥१॥

लै जमदूत पकरि कै जावैं। मारैं बहुत औ भय दिखलावैं ॥२॥

जाय नरक में भोग भोगावैं। सो दुख हम से कहि नहिं जावैं ॥३॥

 

दोहा:-

कह कबीर सतगुरु कृपा, जो हम जानेन भाय ।

सो कछु तुम से कहि दिहेन, मानो मन हर्षाय ॥१॥