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३२३ ॥ श्री भली जान जी ॥

(श्री काजी बासिनी)

 

पद:-

हाड़ हाड़ रग रग रोम रोम नाम धुनि।

सतगुरु करि सुनौ कहैं सब देव मुनि।

ध्यान परकाश लय जाय कर्म देहु भुनि।

सन्मुख राम सिया झाँकी लखौ पुनि पुनि।

मम बैन मानि निज तन मन लेव गुनि।

तन त्यागि पास बास काहे गिरौ घुनि घुनि।६।